Wednesday 9 February 2022

वोट माँगे अइले हो

 

अयोध्या मे गोली चलववले

जरिको न सरमइले हो

एकरा के लाजो ना लागे

वोट माँगे अइले हो।

 

महजिद पर भोंपू लगववलें

मंदिर के बंद करवलें हो

एकरा के लाजो ना लागे

वोट माँगे अइले हो।

 

चाचा बाबू हिल मिल के

खूबै लूट मचवलें हो

एकरा के लाजो ना लागे

वोट माँगे अइले हो।

 

मंचो पर बाबू धकिअवले

हिंदुन के गरिअवलें हो

एकरा के लाजो ना लागे

वोट माँगे अइले हो।

 

सैफई में नाच करवले

पइसा खूब बहवले हो

एकरा के लाजो ना लागे

वोट माँगे अइले हो।

 

बदमासन के टिकस देहले

आतंकी गले लगवले हो

एकरा के लाजो ना लागे

वोट माँगे अइले हो।

 

·       जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

9/2/2022

Thursday 12 August 2021

का फरक ...?

 बाति त जवन बा तवन बा

बाति त इहे बा

जवन हम लिखेनी भा छापेनी।

बाचल-खुचल के कुछो बूझीं

बलुक ओकरो से कुछ बेसी बूझीं

हमरे दीहलका गियान सगरों बघारेले

हम चिघ्घारिले त उहो चिघ्घारेले।

 

ओइसे जहवाँ तक राउर नजर जाई

सब अपने बा

दोसरा के सपने नु बा

रहो ?

का फरक ....?

अइसन कुल्हि ढेर देखले सुनले बानी

लोग चिचिआई,छिछिआई फेरु चुपा जाई

फेर त हमरे नु कहाई

पगड़िया त हमरे माथे नु बन्हाई ?

 

फलाने के चीजु ढेकाने अपने नाँव से छापें

भा गावें

चाहे फलाने के नावों ना लिखें

का फरक.....?

अब फलाने त बिरोध करे ना नु अइहें

बाकि ई  बिरोधवा

सभ गलती करे वालन के  नु होखे के चाही

बिरोध चीन्ह चीन्ह के ना नु होखे के चाही

का फरक  ?

भक्क ....!

इहाँ त गिरोह के बाति नु बा।

 

गिरोह

मने इहों गिरोह बा का ?

बा, ढेर गिरोह बा

जाति धरम से लेके

जवार जवार तक के 

सभे के परिभाषा

समय समय पर बदलतो रहेले।

 

अरे वाह

चीने त ढेर शबद

अपने नावें रजिस्टरी करा लेले बाड़ें

मने चीने से पूछीं फेरु नाँव धरीं

ना त चीने उलटी करे लगिहें

उनुका पर-पलिवर का लो बेमार हो जाई

मिरगी के दउरा परे लागी

का फरक.... ?

लोग मनते नइखे ।

 

मने गलती त सुधरहीं  के नु चाही

सभे के सुधरे के चाही

रउवा कब सुधरब भा सुधारब

का फरक ...?

न हम सुधरब ना सुधारब

हम कोतवाल नु बानी।

 

·       जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

Monday 18 March 2019

साँचो अभियान भयल जुतवा


हेरत फिरत  सभे गाँव गली
केहो उतारी, सिरे भुतवा
तब  चान क शान भयल जुतवा॥
साँचो अभियान भयल जुतवा॥

पाछे चलल पिछुवारे चलल
असों त साहब दुवारे चलल
देखते लोग बुझै एकर बुतवा।
साँचो अभियान भयल जुतवा॥

फूटपाथे से उठि के माले गयल
जेकरा  के पड़ल ते मंत्री भयल
जग जीतै के मंतर इहै मितवा।
साँचो अभियान भयल जुतवा॥

सपा में चलल बसपा में चलल
भाजपा में चलै से कहाँ  टलल
सपना में देखाई चढ़ी चितवा।
साँचो अभियान भयल जुतवा॥

सभा में चलल संसद में चलल
बड़कवन के बाटे बेसी मिलल
चुनउवा में काटी इहो फितवा । 
साँचो अभियान भयल जुतवा॥

सबही के जगाईं जे ना जगल
केतना  के सुनाइल गरे परल
अब रोजे गवाई एकर गीतवा
साँचो अभियान भयल जुतवा॥

·       जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

Thursday 28 February 2019

उहै सुनाई होरी मे


बुआ बबुआ सभै क़हत हौ
पपुआ गाई  होरी में।
रटल रटावल घीसल पीटल
उहै सुनाई होरी में ॥

सैफई महोत्सव देख-देख के
डूबल लुटिया होरी में ।
हाथी बइठल  पंचर सइकिल
खड़ी खटिया होरी में ॥ 

भरल तिजोरी देंवका चाटे
पचरा गाईं  होरी में ॥
ई वी एम के अब  दिया देखाईं
लाज बचाईं  होरी में ॥

गूंगवा बोलल ढेर दिनन में
फूल चढ़ाईं  होरी में ।
मंदिर मंदिर माथा टेकस
पास कराई होरी में ।

उड़नखटोला फाटल कुरता
चौताल बजाईं  होरी में ।
जनेव डारि के कुरता पर
भौकाल बनाईं  होरी में ॥ 

भांग घोंट के मातल काशी
धुनी रमाईं  होरी में ।
साँझ अवध के सुबहे बनारस
ठेंग देखाई होरी में॥



ताक–झाँक के लदल जमाना
इहो  बताईं  होरी में ।
रोमियो समझ नवाबी नगरी
तहजीब सिखाई  होरी में ॥

पढ़ल उरुवा अनपढ़ मंत्री
इहो बताई  होरी में । 
धरम जाति के फइलल जहर
उहो मेटाईं  होरी में ।

लिख लोढ़ा पढ़ पाथर के हौ
मत बतलाईं  होरी में ॥
सभ केहु इहवाँ आपन बाटे
गरे लगाईं  होरी में ॥  


·       जयशंकर प्रसाद द्विवेदी





Monday 11 February 2019

भइल आज गठजोरिया हौ


दिन अछते जब लुगरी फाटल
तब-पुछी ओकरा के आँटल
गेस्टहाउस वाली गोरिया हौ।
भइल आज गठजोरिया हौ॥

कवन जमाना आय गइल
खरवासें गाँठ जोराय गइल
मंगल गाईं हथजोरिया हौ।
भइल आज गठजोरिया हौ॥

भनमतिया के कुनबा लेखा
जुटल बाटें सन तनि देखा
मठ नाही घर फोरिया हौ।
भइल आज गठजोरिया हौ॥

पकड़ी दम्मा दमभर खोखी
छत्तीस देखा तिरसठ होखी
मुँहझउसन के खोरिया हौ।
भइल आज गठजोरिया हौ॥

अनगढ़ दुवरे कोल-भकोल
छठिये  होखे लागल मोल
बरही बन्हाइल बोरिया हौ।
भइल आज गठजोरिया हौ॥

तू-तू, मैं-मैं, तोरब-फोरब
पहिले त घर-बार अगोरब  
भर मुँह गारी कै लोरिया हौ।
भइल आज गठजोरिया हौ॥

·       जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

Monday 1 October 2018

हिया दहकाय गइल ना

पिया पीर देके अचके पराय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

सिरे परल बा रोपनियाँ
नीक लागे ना चननियाँ
पिया सावन मे मन तरसाय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

कसहूँ पार हो रोपनियाँ
कइसे निबही सोहनियाँ
पिया असरा के दीयरी बुताय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

परल झुलुवा चारी ओर
मनवा छ्छ्नेला हिलोर
पिया आल्हर जियरा के जराय गइल
हिया दहकाय गइल ना।

• जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

Wednesday 18 April 2018

हो हमरा बनल रही भौकाल


केनिओं थूकब केनियों चाटब
चलब कुटनियाँ चाल ।
हो हमरा बनल रही भौकाल ॥

दिन के रात, रात दिन बोलब
झूठ के भोरही गठरी खोलब
लूटब रहब निहाल ।
हो हमरा बनल रही भौकाल ॥

जात धरम के पाशा फेंकब
तकलीफ़े मे सभका देखब
बजत रही करताल
हो हमरा बनल रही भौकाल ॥

कुरसी के बस खेला खेलब
सभही के आफत मे ठेलब
होखी बाउर हाल
हो हमरा बनल रही भौकाल ॥


·       जयशंकर प्रसाद द्विवेदी